- 64 Posts
- 3054 Comments
आज देश ६६ वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है.सभी को शुभकामनाएं. जब १५ अगस्त १९४७ को देश स्वतंत्र हुआ तब मो. जिन्ना ने मुस्लिमो के लिए एक अलग राष्ट्र कि मांग की इसी कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ. उस वक्त के हालात बेकाबू हो जाने से कई मुस्लिम परिवारों को यहीं पर बस जाना पड़ा. बाद में हालात सामान्य होने पर भी ना तो हिन्दुस्तान कि सरकार को और ना ही पाकिस्तान कि सरकार को इस बात की फिक्र रही कि बचे हुए लोगों को किस प्रकार उनके मुल्क में भेजा जाए. मानवता के नाते यह उन पर ही छोड़ दिया गया कि वे जहां रहना चाहे रहें.
हिन्दुस्तान के क़ानून में इस बात कि गुंजाइश रखी कि इस्लाम धर्म के मानाने वाले यहाँ किसी प्रकार कि असुरक्षा महूसस ना करें. कई कानून ऐसे भी हैं जों देश में अन्य धर्मो के मानने वालों के साथ अन्याय जान पड़ते है.फिरभी कभी किसी ने इनको बदलने के लिये आवाज तक नहीं उठायी. आज भी यदि कोई मुस्लिम परिवार में पिता के मकान का बंटवारा होता है तो पिता के जीवित रहते हुए भी उन्हें उसकी रजिस्ट्री पर कोई शुल्क नहीं लगता.अन्य सभी धर्मो के मानने वालों को यह सुविधा पिता कि म्रत्यु के पश्चात ही मिलती है.यह सिर्फ एक उदाहरण मैंने प्रस्तुत किया है. कभी भी हिन्दुस्तान का मुसलमान भयभीत नजर नहीं आया. कभी भी उसके मन में यहाँ से पलायन कि बात नहीं आयी होगी जैसा कि हम पाकिस्तान के हिंदुओं में देख रहे हैं.
मगर इतनी सब सुविधा मिलने के बाद भी इस समाज ने देश को क्या दिया? कभी भी किसी इस्लामिक संगठन ने या इस्लाम को मानने वाले नेताओं ने कभी भी देश में बढ़ रही जनसंख्या के लिए या काश्मीर से पलायन करते हिंदुओं के लिए, पकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के लिए, देश में पनप रहे भ्रष्टाचार के लिये या कभी भी मुस्लिम मुल्क में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के लिए कभी भी कोई राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन नहीं किया है. कभी भी इन्होने देश में मुस्लिम आतंकियों के कारण होने वाली घटनाओं पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई आंदोलन नहीं छेड़ा है. जब कि देश में कई देशद्रोह कि ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमे मुस्लिम धर्म के लोग शामिल थे. राजनेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए जिसे धर्म से ना जोड़कर हमेशा कभी आंतंकवादी तो कभी कुछ और नाम देकर पर्दा डालते रहे हैं. मगर क्या इससे सच्चाई छुप जायेगी. इससे क्या समझा जाए?
मुंबई में पिछले दिनों आसाम कि घटनाओं पर प्रदर्शन के दौरान २६/११ के शहीदों के सम्मान में बनी अमर जवान ज्योति को क्षतिग्रस्त किया गया चित्रों को देखकर साफ़ जाहिर होता है कि यह एक सुनिश्चित योजना का हिस्सा है किन्तु इसके बाद भी किसी मुस्लिम धर्मगुरु या राष्ट्रीय संगठन ने साफ़ खुलकर इसकी निंदा नहीं की. दुःख कि बात है कि जों मुस्लिम नेता कांग्रेस में बैठे हैं जों देश कि तरक्की के लिए देश के जन जन के आंदोलन को रामलीला करार दे रहे हैं उनके द्वारा भी इस देशद्रोह ही घटना, जिस में अमर जवान ज्योति को तोड़ने के साथ ही साथ पाकिस्तान के झंडे लहराने जैसे कृत्य भी हुए हैं, पर खुलकर कोई बयान नहीं दिया गया. आज देश जब आजादी के ६५ वर्ष बाद मुस्लिम धर्म के लोग हिन्दुस्तान कि तरक्की में बड़ी भागीदारी नहीं करना चाहते तो इस सत्य को हम कैसे झुठला सकते हैं.
Read Comments