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देश के विकास की धुरी होती हैं उस देश की एक शहर को दुसरे शहर से जोड़ने वाली सड़कें. जहां पक्की सडकों की पहुँच गाँव गाँव और कस्बे कस्बे तक होगी उसे उतना उन्नत माना जाएगा.
पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में भी उन्नति की ये रफ़्तार,चाहे सरकारी माध्यम से हो या निजी कंपनी की भागीदारी से हो, बढ़ी अवश्य है. इससे लाभ भी कई हुए हैं जहां हमें गड्ढों में सफ़र करना पड़ता था चंद मीलों का सफ़र घंटो में तय होता था अब मिनिटों में तय होने लगा है.गाडी के हिचकोले जहां हमें गंतव्य पर पहुँचने के पहले ही डाक्टर का पता पूछने को मजबूर कर देते थे अब अच्छी सडकों के कारण हमें मालुम भी नहीं होता की हम सैकड़ों मील का सफ़र तय करके आये हैं. हमारे निजी वाहन जहां इंधन के अतिरिक्त रखरखाव पर अधिक खर्च करवाते थे अब वह खर्च भी बच जाता है.इसीकारण आजकल अधिकाँश लोग आपने निजी वाहन से ही सफ़र करना अधिक पसंद करते हैं. वाहन चाहे दो पहिया हो या चार पहिया, दोनों का ही एक शहर से दुसरे शहर आने जाने में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है.
मगर इन सारी अच्छाइयों के पीछे भी कुछ बुराइयां और दर्दनाक घटनाएं छुपी हैं उन्हें हमें समझना ही होगा. अच्छे रास्ते चाहे पक्की डामर की दो लेन वाली सड़कें हों या फिर चार लेन वाली सड़कें हों, अधिकाँश वाहन चालाक इन सड़कों पर अनियंत्रित गति से वाहन चलाते हुए देखे जा सकते हैं. हम भी उन्हें प्रोत्साहित ही करते हैं जब हमें कहीं दुसरे शहर जाना होता है तो हम सडकों की स्थिति से ही उस शहर पहुँचने के वक्त का अंदाजा करते हैं और उसी के अनुसार अपने घर से चलने का समय निर्धारित करते हैं कई बार कुछ देरी हो जाती है तो हम ड्राईवर से कहते हैं की ये वक्त तो ये साध ही लेंगे.मगर हमारा अनजाने में कहे ये शब्द कितने खतरनाक हो सकते हैं हम कभी इस पर गौर ही नहीं करते.आपका वक्त साधने के चक्कर में वाहन चालक कई जगह खतरे मोल लेकर वाहन तेज गति से चलाता है. इसी कारण चौड़ी सडकों पर वाहन एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ करते नजर आते हैं.कई घटनाएं है की जब ऐसी जल्दबाजी में पूरा का पूरा परिवार ही साफ़ हो गया.
जब सड़कें अच्छी नहीं थीं तब हम कोशिश करते थे की रात में सफ़र ना ही करना पड़े. मगर अच्छी चौड़ी सडकों के कारण हम रात दिन को महत्त्व दिए बिना सफ़र पर निकल पड़ते हैं. और नतीजे में कई लोगों का सफ़र अंतिम सफ़र ही रहा क्योंकि रात्री में वाहन चालाक को नींद के झोंके आ जाना स्वाभाविक ही है. तब कैसी दुर्घटना हो जायेगी कहा ही नहीं जा सकता. नींद के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की तो गिनती भी करना मुश्किल है. दुसरा रात्री में सुने मार्गों पर होने वाली लूटपाट की घटनाओं की भी कोई कमी नहीं है.
आजकल निजी चार पहिया वाहनों की कोई कमी नहीं है.लगभग हर मध्यमवर्गीय परिवार के पास भी नया या पुराना चार पहिया वाहन अवश्य ही होगा. प्रतिवर्ष होने वाली वाहनों की बिक्री के आंकड़े बताते हैं की हमारे देश में वाहनों की कितनी अधिक खरीदी हो रही है. सच कहूँ तो कुछ दशक पहले जिस घर में एक अदद साइकिल भी होना मुश्किल था वहां आज एक से अधिक दो पहिया मोटर वाहन खड़े हैं. घर के वे बच्चे जो अभी वाहन चलाने के लायसेंस के पात्रता भी नहीं रखते वे भी उन वाहनों को चलाते हैं और फिर जब शहर से बाहर की चौड़ी सडकों पाकर तेज गति से वाहन चलाते हैं तो कई बार फिर घर लौटकर नहीं आ पाते है.
मेरे लिखने का उद्धेश्य किसी को डराना नहीं है किन्तु आज हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए जागरूक बनाना है.ताकि ऐसा ना हो कोई माँ देर रात तक अपने बच्चों की प्रतीक्षा करती रहे और बदले में उसकी सिर्फ खबर ही आये.
सावधानी हटी दुर्घटना घटी,
सावधान रहें सुरक्षित रहें.
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