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कई दिनों से मन कर रहा था कि जागरण जंक्शन को धन्यवाद दिया जाए और मेरे मन की बात स्वतः ही मंच संचालक मंडल के कानो तक पहुंची और उन्होंने मुझे धन्यवाद कहने का सुअवसर प्रदान किया. इस मंच और संचालक मंडल का धन्यवाद जिन्होंने मुझे मेरे मन की बातें जिन पर शायद मै नित प्रति के मित्रों के साथ भी उतनी सार्थक बहस नहीं कर सकता जो यहाँ आसानी से हो जाती है.वह भी उन लोगों के बीच जिनको मै जानता भी नहीं.किन्तु आज यह शब्द कहते भी मुझको लज्जा का अनुभव हो रहा है क्योंकि इतने अर्से से नित परस्पर विचारों के आदान प्रदान ने यह दुरी ख़त्म कर दी है.अब यदि मै यह कहूँ की मै यहाँ लिखने वाले साथियों को नहीं जानता तो वह अपने तीक्ष्ण शब्द बाणो से ही मेरी खटिया खडी कर देंगे.
इतने कम समय में अन्य ब्लोगरों से जुड़ाव मुझे अपने प्रायमरी कक्षाओं में भर्ती के बाद अन्य छात्रों से दोस्ती और झगड़ों की याद दिलाता हैं.
मुझे याद है जब जे जे की शुरुआत हुई थी तो अक्सर मुझे ईमेल पर सन्देश आते थे कि जागरण ने हिंदी ब्लॉग लिखने के लिए नया मंच शुरू किया है.कुछ दिन तो मैंने ध्यान नहीं दिया फिर एक दिन लोगिन आई डी बना ली, कुछ दिन अन्य ब्लॉग पढ़े फिर एक दिन छोटा सा आलेख मैंने भी पोस्ट किया किन्तु मै यही समझ नहीं पाया कि मेरे लिखे को कोई पढता भी है या नहीं समझ ना आने से मैंने फिर लिखना बंद कर दिया फिर अन्ना के आन्दोलन कि शुरुआत के साथ ही मेरा लेखन भी गति पकड़ने लगा जो आज जूनून बन गया है. क्योंकि यहाँ सभी ब्लोगर्स मर्यादित भाषा में ही लेखन का कार्य करते हैं एक दुसरे अच्छे लेखन में मदत भी करते हैं और जे जे कि भी प्रशंसा करनी होगी जिसने समय समय पर आयी कठिनाइयों का शीघ्र ही निराकरण भी किया है.
खट्टे मीठे अनुभव
जहां तक खट्टे मीठे अनुभवों कि बात है तो खट्टे तो कोई अनुभव नहीं हैं हाँ मगर कुछ दिन पहले छोटी सी सम्पादकीय खामी के कारण वरिष्ठ ब्लोगर्स द्वारा मंच छोड़ देना मेरे लिए सबसे खट्टा अनुभव रहा है. सिर्फ अनुभव ही नहीं आज भी उन ब्लोगर्स कि कमी मंच पर खलती है.
मीठे अनुभव तो कई रहे हैं.सामान्य से सामान्य लेखन पर भी हार्दिक शुभकामनाएं जो प्रेरित करती है अच्छे लेखन के लिए. किसी भी त्रुटिपूर्ण लेखन पर निसंकोच सुधार करने के लिए निष्कपट सलाह. अनुभव कि कमी के कारण आने वाली दिक्कतों पर उचित सलाह जैसी कई बातें हैं जो इस मंच से जुड़े रहने के आकर्षण को और बढ़ाती हैं.
कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जो स्मरणीय हैं.जैसे कि जे जे द्वारा फोरम में उठाये विषय “वैश्यावृत्ति सामाजिक अपराध” पर आदरणीय प्रमोद चौबेजी संग सार्थक बहस और इस ब्लॉग के कारण ही “ब्लोगर ऑफ़ द वीक” बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.कई आलेख और काव्य रचनाएं फीचर होने से मन में लेखन के प्रति लगाव बढ़ा.
इसके अतिरिक्त एक ब्लोगर आदरणीय राजकमल जी जो कई दिनों से नदारद है ऐसे व्यक्ति रहे हैं जो हरदम मंच पर हल्का फुल्का हास्य बिखेरने में माहिर हैं.
एक अवसर और याद आता है जब वरिष्ठ ब्लोगर निशा मित्तल जी के सौ ब्लॉग पुरे हुए और उन्हें मंच के कई ब्लोगर्स द्वारा बधाई दी गयी. उनके यह सौ ब्लॉग सचिन के शतक से कम भी नहीं थे क्योंकि वे सभी विषयों पर काफी अध्ययन कर विस्तार से लिखती हैं और इसीलिए वे अन्य नवोदित ब्लोगर्स की सदैव प्रेरणा रही हैं.
और एक प्रतिक्रया जो न मेरे ब्लॉग पर थी ना ही मेरे लिए बस मैंने पढ़ी और हंसता ही रहा. मोहतरमा सरिता सिन्हा द्वारा अपने ही ब्लॉग पर आदरणीय लहर जी कि प्रतिक्रया के जवाब में दी गयी परप्रतिक्रिया ” देश की वर्तमान दशा पर सिर्फ दुःख मत करिए.. गाँधी जी अब नहीं आयेंगे न ही वो भगवान थे कि कोई उनका अवतार बन कर आये गा…आप नए लोगों पर देश तो क्या पूरे विश्व की निगाहें हैं ….ये आराम से कुहनी के बल लेटने का समय नहीं है…उठिए और गलत लोगो को करारा जवाब दीजिये..
वन्दे मातरम…
जागरण जंक्शन पर यूँ तो कोई परेशानी नहीं है किन्तु अक्सर प्रतिक्रया देने में परेशानी आती रहती है. जब कोई पोस्ट अपडेट करनी हो तो रिफ्रेश का अन्तराल कम होने के कारण एडिट करने में कठिनाई का अनुभव होता है.अंत में जागरण जंक्शन मंच का आभार.
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