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अतीत के कोने.

badalte rishte
badalte rishte
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तेरा ख़याल आता है,एक तूफान उठा जाता है,
फिजां बदल जाती है,पतझड़ में बहार लाता है,

 

सपनो में जीवित होते हैं अतीत के कोने,
आँखे खुलती हैं शबनम सा बह जाता है,

 

तन्हाई के तसव्वुर में तेरी छवि उभर आती है,
तेरे ना होने का एहसास मन में जगा जाती है,

 

तू फूलों पे जमी शबनम में नजर आती है,
कभी रातों में चांदनी बन के बिखर जाती है,

 

तू जब भी मेरे ख्यालों में उतर आती है,
एक प्यार की रंगत सी बिखर जाती है,

 

वक्ते रुखसत पे हुई भूल जब सताती है,
होठों की जुबाँ बेजुबानी याद आती है.

 

हैं खुशनसीब इस जहां में वो आशिक,
जिनकी पहली मोहब्बत कबूल हो जाती है.

प्रिय जवाहर लाल सिंह भाई जी के आग्रह पर वेलेंटाइन डे की प्रस्तुति सभी सम्माननीय ब्लोगर्स से आशीर्वाद प्राप्त करने की आशा लिए.

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