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बसंत

badalte rishte
badalte rishte
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फिर खिले पुष्प पलाश के,
नभ में लालिमा छाई है,
छूटा कंपकंपी का साथ
फिर रंगे बहार आयी है,
मौसम ने करवट पलटाई है.
कुसुमित हुए वृक्ष सेमर गुलमोहर
और बौराया हर आम,
शाख शाख बौराई है,
मौसम ने करवट पलटाई है.
सुनाई देने लगा प्रातः शाम
पक्षियों का कलरव गान,
कोयल की कुहुक में
सुनायी देने लगी मधुर तान,
कुहू कुहू से हर दिशा गुंजाई है,
मौसम ने करवट पलटाई है,
फिर आ गए लम्बे लम्बे दिन
और हो गयी छोटी रातें,
खूब करेंगे दिनभर गपशप
और करेंगे मीठी बातें,
छोटी सी अब जुदाई होगी,
और लम्बी होंगी मुलाकातें,
ऋतू बसंत यही संदेसा लाई है,
मौसम ने करवट पलटाई है
.

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