Menu
blogid : 5350 postid : 210

ऋतू गान.

badalte rishte
badalte rishte
  • 64 Posts
  • 3054 Comments

आयी ऋत जो चुनाव की नेता नमन करे,
जाति पाँति सब भूली के द्वारे दस्तक देय.

बांटे ऐसी रेवड़ी सब मतधर   अंधा   होय,
नेता नेता चहुँ दिसि और दिखे ना कोय.

भूख गरीबी देखि के झर झर नीर बहाय,
हर आंसू के मोल लेय पांच बरस तडपाय.

सुगठित देख समाज को मन ही मन अकुलाय,
वोट समाज के पाय को दस बार कुलाटी खाय.

तंतर मंतर फेरि के जीत हरण कर लेय,
पांच बरस फिर ना दिखे जे समाधि लेय.

दारु कम्बल देखि के मतदाता भी पगलाय,
बीती ताहि बिसारी के नेता सुमिरन गाय.

दुर्गुण देखि सरीर के मन की थाह लगाय,
निर्मल काया देखि के बहुमतन से जितवाय.

मंगल सुमंगल जानि के सत पे मुहर लगाय,
चुनाव होय के बाद भी कबहूँ ना वो पछताय
.

अब जान ले शैतान को
है रूप धरा भगवान् का,
अब जान ले नादान तू
है वक्त बड़े ही ध्यान का.

चार ऋतून के बाद भी ऐसी ऋतू ना आय,
पांच बरस में आयी है ये मौका नहीं गवाँय.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh