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मस्त कलंदर छू छू मंतर,
ध्वस्त होगये सब छू और मंतर,
अलख जगाई भीड़ लगाई,
हो गया सब गुड और गोबर.
मै भी हीरा तू भी पन्ना,
भूल गए सब हीरा पन्ना,
तेरे मेरे बीच बनी थी
तेरे मेरे बीच तनी थी,
सहमति की इक मैली चादर,
भूल गए सब पाकर गाकर,
बाहर आकर भीतर जाकर.
मात्रभूमि के दिवानो का
उत्साह कभी भी कम न हुआ है,
फिर क्यों विचलित करते हो तुम,
अदनी सी तलवार बताकर.
देशद्रोहियों के हलके मन में,
स्वप्न पल रहे भरी भरकम,
बहला लेंगे फुसला लेंगे,
राजनीति की बात करेंगे ,
कूटनीति की चाल चलेंगे,
देखो कैसे वादे इनके,
कितना इनकी है बातों में अंतर.
कैसे अब विश्वास करें हम,
कितना अब विश्वास करें हम,
वृद्धों का उपहास हुआ है
युवाओं का हास हुआ है,
माताएं क्यूँ पछताती हैं,
बेटे को सरदार बनाकर.
पहले भी तो खूब लड़े हो,
आगे भी है बहुत लड़ाई,
मंजिल तुमको पाना है तो,
यह अन्धकार मिटाना है तो,
आओ बढे सब फिर मिलजुल कर,
ख़त्म हो रहा अब मध्यांतर.
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